हेलो दोस्तों आज मैं लेकर आया हु रज़िया सुल्तान जीवनी - Biography of Razia Sultan in Hindi, यह पहली और आखरी महिला शासक है दिल्ली सुल्तनत की, इतिहास मैं ऐसा बहुत कम हुआ है जहा महिला ने अपना शासन चलाया हो यह बहुत धर्म निरपेक्ष और कुशल सुल्तान थी तोह आज हम इनके बारे मैं और इनके शासन के बारे मैं जानेंगे.
थोड़ा मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा की अभी तक मैंने महमूद ग़ज़नी, मोहम्मद घोरी, क़ुत्ब अल-दिन ऐबक और इल्तुतमिश इन सब की जीवनी अभी तक मैंने कवर कर ली है और आज हम बात करने वाले है इल्तुतमिश की बेटी रज़िया की.
रज़िया अपने पिताजी की काफी चहेती थी और रज़िया मैं सुल्तान बनने की गुणवत्ता थी इसलिए इल्तुतमिश ने अपनी बेटी को सुल्तान बनाया, रज़िया सुल्तान का शासन १२३६ से १२४० तक चला.
शम्सुद्दीन इल्तुतमिश के बेटे भी थे और इनके एक बेटे ने शासन भी किया था लेकिन वह शासन बहुत ही खराब था सिर्फ ६ महीने तक ही शासन चला और फिर राजदरबारियों ने इसे मरवा दिया था.
दोनों की शादी से इन्हे बेटी हुई जिसका नाम था रज़िया और रज़िया का पूरा नाम था रज़िया उद-दिन. रज़िया का एक सगा भाई भी था और कुछ सौतेले भाई भी थे.
इनका सगे भाई का नाम था नसीरुद्दीन महमूद इसकी बहुत जल्द हत्या कर दी गई थी, इनके सौतेले भाइयोँ का नाम था रुक्न उद-दिन फिरोज़ और मुइज़ उद-दिन बहराम, इल्तुतमिश के बाद कुछ वक़्त के लिए रुक्न उद-दिन फिरोज़ को सुल्तान बनाया गया था लेकिन इसक रवैया बहुत ही खराब था.
सुल्तान बनने से पहले सभी लोग रज़िया से काफी प्यार करते थे और सब इन्हे पसंद भी करते थे लेकिन जैसे ही यह सुल्तान बनी तोह लोगो की आँखों मैं यह खटकने लगी और दिक्कत होना शुरू हो गयी.
१२३० मैं इल्तुतमिश ग्वालियर चले गए थे तोह कुछ समय के लिए इन्होने रज़िया को सुल्तान बना दिया था, तोह इस कुछ समय मैं ही रज़िया ने इतना बेहतरीन काम किया की इल्तुतमिश काफी प्रस्सन हुए. और एक बात बता दू की रज़िया सुल्तान के सगे भाई नसीरुद्दीन महमूद की हत्या १२२९ मैं हो चुकी थी.
१२३६ मैं इल्तुतमिश की मौत हो गयी, तोह रुक्न उद-दिन फिरोज़ ने सत्ता पर अपना कब्ज़ा जमा लिया, लेकिन रुक्न उद-दिन ठीक से शासन नहीं कर पाया इसके पास कोई कौशल नहीं था और सिर्फ अय्यासी मैं रहता था, इसके बाद इल्तुतमिश की विध्वा उन्होंने भी सत्ता को संभालने की कोशिश की लेकिन वह भी ठीक से शासन नहीं कर पायी, दोनों ही शासन नहीं कर पाए और दोनों को ही ६ महीने बाद मार दिया गया.
और फिर सुल्तान बनाया जाता है रज़िया को, सुल्तान बनाने से पहले काफी दिक्कत आयी क्योँकि उस वक़्त लोग कह रहे थे की हम किसी औरत के अंतर्गत काम नहीं करेंगे, लेकिन राजदरबारियों का सहयोग था और इसी सहयोग की वजह से रज़िया, रज़िया सुल्तान बन गयी.
रज़िया सुल्तान ने अपने शासन मैं काफी स्कूल बनवाये ताकि लोग जो है शिक्षित हो सके, और इन स्कूलों मैं मोहम्मद सलल्लाहु अलैहिवस्सलम की ज़िन्दगी के बारे मैं बताया जाता था और क़ुरान के बारे मैं बताया जाता था और विज्ञान और हिन्दुओ की कला के बारे मैं भी बताया जाता था.
औरतो को समान हक देने की कोशिश की फिर हिन्दुओ पर अतिरिक्त कर जो लगाया जाता था उससे हटाने की भी कोशिश की तोह बहुत कुछ करने की कोशिश की लेकिन अगर आप इतने सारे अच्छे काम करोगे वह भी सुल्तान बनकर तोह कुछ लोगो को तोह ज़रूर यह खटकेगा.
रज़िया सुल्तान का शासन लम्बा चल नहीं पाया क्योँ? इसके तीन कारण है.
१ - सब से पहली बात तोह यह की यह औरत थी तोह लोग इस वजह से चिढ़ते थे इनसे,
२ - रज़िया सुल्तान इस्लामिक परंपरा के खिलाफ जाने लगी थी जैसे पर्दा प्रणाली को हटा दिया था तोह इस वजह से मुसलमानो को यह अपमान लग रहा था,
३ - राजदरबारी, इन्हे अब ऐसा लगने लगा था की कही न कही हमारी बेइज़्ज़ती हो रही है हम किसी और के अंतर्गत कैसे काम कर सकते है.
तोह सब से बड़ी दिक्कत तोह यही थी की यह औरत थी इसी लिए इनका शासन चल ही नहीं पाया, राजदरबारियों का कहना था की रज़िया सुल्तान ने दिल्ली सल्तन की गद्दी को छिना है इसने ज़बरदस्ती इस गद्दी को छिना है जबकि यह कभी इस गद्दी के लिए लायक थी ही नहीं.
और कट्टर मुसलामनों की आंखो मैं तोह यह खटकने लगी ही थी तोह यह सारी चीज़े इनके खिलाफ गयी काफी सारे दुश्मन बन गए थे और फिर रज़िया सुल्तान की हत्या कर दी गयी.
इनका काम यह रहता था की जो भी विस्तार हो रहा है उसमें राजा के मदद करना, अगर किसी ने विद्रोह कर दिया है तोह उसमें अपनी राइ देना उसमें मदद करना और प्रशासन का सारा काम यह लोग देखते थे. और राजपाठ आगे कैसे भड़ाना है इसकी सलाह देते थे और रणनीति बना कर देते थे.
रज़िया सुल्तान यह राजदरबारियों से दूर होना चाहती थी और इन्हे हटाना चाहती थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
अब इतिहासकारो का कहना है की इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ जो रज़िया सुल्तान का बचपन का दोस्त था तोह इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ भी प्यार करता था रज़िया सुल्तान से.
अब हुआ यह की जमाल उद-दिन याक़ूत और रज़िया सुल्तान एक साथ मिल गए थे, और दोनों ने फैसला कर लिया था की जो भी हमारे खिलाफ आवाज़ उठाएगा हम उसकी आवाज़ दबा देंगे.
लेकिन दोनोही नाकाम रहे लोगो की आवाज़ को दबाने मैं, और इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ ने बहराम शाह से हाथ मिल लिया था और बहराम शाह को रज़िया सुल्तान के बाद दिल्ली सल्तनत की गद्दी मिली थी. यह बहराम शाह वही मुइज़ उद-दिन बहराम है जो रज़िया सुल्तान का सौतेला भाई था.
तोह जमाल उद-दिन याक़ूत और रज़िया सुल्तान के लड़ाई होती है इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ से लेकिन रज़िया सुल्तान हार जाती है, जमाल उद-दिन याक़ूत को मार दिया जाता है और रज़िया सुल्तान को क़िला मुबारक़ मैं कैद कर लिया जाता है और फिर इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ से रज़िया को शादी करनी पड़ती है लेकिन फिर भी रज़िया को मार दिया जाता है.
लेकिन सिर्फ रज़िया सुल्तान को ही नहीं मारा गया होता है, इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ को भी मार दिया जाता है और इन सब के पीछे हाथ होता है राजदरबारियों का.
तोह अक्टूबर १२४० मैं रज़िया सुल्तान की मृत्यु हो जाती है, तोह शासन इनका छोटा था लेकिन काफी कारगर था. तोह दोस्तों यह थी रज़िया सुल्तान जीवनी - Biography of Razia Sultan in Hindi
थोड़ा मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा की अभी तक मैंने महमूद ग़ज़नी, मोहम्मद घोरी, क़ुत्ब अल-दिन ऐबक और इल्तुतमिश इन सब की जीवनी अभी तक मैंने कवर कर ली है और आज हम बात करने वाले है इल्तुतमिश की बेटी रज़िया की.
Who Was Razia Sultan
रज़िया, सुल्तान थी दिल्ली सुल्तनत की और यह बेटी थी शम्सुद्दीन इल्तुतमिश की, इतिहासकारो ने इसे बहुत ही धर्म निरपेक्ष सुल्तान बताया है, अपने आप को राजदरबारियों और उनकी सोच से अपने आप को काफी अलग और दूर रक्खा था. यह जो राजदरबारि थे इन्हे आप अफसर या अधिकारी कह सकते है जो उस वक़्त बड़े औधे पर थे.रज़िया अपने पिताजी की काफी चहेती थी और रज़िया मैं सुल्तान बनने की गुणवत्ता थी इसलिए इल्तुतमिश ने अपनी बेटी को सुल्तान बनाया, रज़िया सुल्तान का शासन १२३६ से १२४० तक चला.
शम्सुद्दीन इल्तुतमिश के बेटे भी थे और इनके एक बेटे ने शासन भी किया था लेकिन वह शासन बहुत ही खराब था सिर्फ ६ महीने तक ही शासन चला और फिर राजदरबारियों ने इसे मरवा दिया था.
Early Life of Razia Sultan
रज़िया सुल्तान का जनम १२०५ मैं हुआ था, और यह क़ुत्ब अल-दिन ऐबक की नाती थी मतलब क़ुत्ब अल-दिन ऐबक इनके नाना थे, क़ुत्ब अल-दिन ऐबक की बेटी क़ुत्ब बेगम की शादी शम्सुद्दीन इल्तुतमिश से हुई थी.दोनों की शादी से इन्हे बेटी हुई जिसका नाम था रज़िया और रज़िया का पूरा नाम था रज़िया उद-दिन. रज़िया का एक सगा भाई भी था और कुछ सौतेले भाई भी थे.
इनका सगे भाई का नाम था नसीरुद्दीन महमूद इसकी बहुत जल्द हत्या कर दी गई थी, इनके सौतेले भाइयोँ का नाम था रुक्न उद-दिन फिरोज़ और मुइज़ उद-दिन बहराम, इल्तुतमिश के बाद कुछ वक़्त के लिए रुक्न उद-दिन फिरोज़ को सुल्तान बनाया गया था लेकिन इसक रवैया बहुत ही खराब था.
Become Sultan
रज़िया सुल्तान उस समय की औरतो जैसे नहीं थी, यह परदे मैं नहीं रहती थी, इतिहासकरो का कहना है की यह बहुत ही बुद्धिमान थी, रज़िया सुल्तान ने तलवारबाज़ी सीखी, घोड़ेसवारी भी सीखी, लड़ना सीखा यह सारी तालीम उस वक़्त लड़को को सिखाया जाता था लेकिन रज़िया ने औरत होकर यह सब कुछ सीखा.सुल्तान बनने से पहले सभी लोग रज़िया से काफी प्यार करते थे और सब इन्हे पसंद भी करते थे लेकिन जैसे ही यह सुल्तान बनी तोह लोगो की आँखों मैं यह खटकने लगी और दिक्कत होना शुरू हो गयी.
१२३० मैं इल्तुतमिश ग्वालियर चले गए थे तोह कुछ समय के लिए इन्होने रज़िया को सुल्तान बना दिया था, तोह इस कुछ समय मैं ही रज़िया ने इतना बेहतरीन काम किया की इल्तुतमिश काफी प्रस्सन हुए. और एक बात बता दू की रज़िया सुल्तान के सगे भाई नसीरुद्दीन महमूद की हत्या १२२९ मैं हो चुकी थी.
१२३६ मैं इल्तुतमिश की मौत हो गयी, तोह रुक्न उद-दिन फिरोज़ ने सत्ता पर अपना कब्ज़ा जमा लिया, लेकिन रुक्न उद-दिन ठीक से शासन नहीं कर पाया इसके पास कोई कौशल नहीं था और सिर्फ अय्यासी मैं रहता था, इसके बाद इल्तुतमिश की विध्वा उन्होंने भी सत्ता को संभालने की कोशिश की लेकिन वह भी ठीक से शासन नहीं कर पायी, दोनों ही शासन नहीं कर पाए और दोनों को ही ६ महीने बाद मार दिया गया.
और फिर सुल्तान बनाया जाता है रज़िया को, सुल्तान बनाने से पहले काफी दिक्कत आयी क्योँकि उस वक़्त लोग कह रहे थे की हम किसी औरत के अंतर्गत काम नहीं करेंगे, लेकिन राजदरबारियों का सहयोग था और इसी सहयोग की वजह से रज़िया, रज़िया सुल्तान बन गयी.
रज़िया सुल्तान ने अपने शासन मैं काफी स्कूल बनवाये ताकि लोग जो है शिक्षित हो सके, और इन स्कूलों मैं मोहम्मद सलल्लाहु अलैहिवस्सलम की ज़िन्दगी के बारे मैं बताया जाता था और क़ुरान के बारे मैं बताया जाता था और विज्ञान और हिन्दुओ की कला के बारे मैं भी बताया जाता था.
औरतो को समान हक देने की कोशिश की फिर हिन्दुओ पर अतिरिक्त कर जो लगाया जाता था उससे हटाने की भी कोशिश की तोह बहुत कुछ करने की कोशिश की लेकिन अगर आप इतने सारे अच्छे काम करोगे वह भी सुल्तान बनकर तोह कुछ लोगो को तोह ज़रूर यह खटकेगा.
रज़िया सुल्तान का शासन लम्बा चल नहीं पाया क्योँ? इसके तीन कारण है.
१ - सब से पहली बात तोह यह की यह औरत थी तोह लोग इस वजह से चिढ़ते थे इनसे,
२ - रज़िया सुल्तान इस्लामिक परंपरा के खिलाफ जाने लगी थी जैसे पर्दा प्रणाली को हटा दिया था तोह इस वजह से मुसलमानो को यह अपमान लग रहा था,
३ - राजदरबारी, इन्हे अब ऐसा लगने लगा था की कही न कही हमारी बेइज़्ज़ती हो रही है हम किसी और के अंतर्गत कैसे काम कर सकते है.
तोह सब से बड़ी दिक्कत तोह यही थी की यह औरत थी इसी लिए इनका शासन चल ही नहीं पाया, राजदरबारियों का कहना था की रज़िया सुल्तान ने दिल्ली सल्तन की गद्दी को छिना है इसने ज़बरदस्ती इस गद्दी को छिना है जबकि यह कभी इस गद्दी के लिए लायक थी ही नहीं.
और कट्टर मुसलामनों की आंखो मैं तोह यह खटकने लगी ही थी तोह यह सारी चीज़े इनके खिलाफ गयी काफी सारे दुश्मन बन गए थे और फिर रज़िया सुल्तान की हत्या कर दी गयी.
Nobles
चलिए थोरा राजदरबारियों के बारे मैं बात करते है क्योँकि इनकी बहुत ही एहम भूमिका होती थी, यह राजा बनाते भी थे और राजा को गद्दी से हटा भी सकते थे, तोह यह राजदरबारी होते कौन थे? यह जो राजदरबारी थे यह कुछ अरब से आये थे, कुछ मिस्र से आये थे, कुछ तुर्की से आये थे, कुछ पर्शिया से आये थे और कुछ भारतीय भी थे और हिन्दू राजदरबारी भी थे.इनका काम यह रहता था की जो भी विस्तार हो रहा है उसमें राजा के मदद करना, अगर किसी ने विद्रोह कर दिया है तोह उसमें अपनी राइ देना उसमें मदद करना और प्रशासन का सारा काम यह लोग देखते थे. और राजपाठ आगे कैसे भड़ाना है इसकी सलाह देते थे और रणनीति बना कर देते थे.
रज़िया सुल्तान यह राजदरबारियों से दूर होना चाहती थी और इन्हे हटाना चाहती थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
Love Angle
इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ यह राज्यपाल था भटिंडा का यह रज़िया का बचपन का दोस्त था, और जमाल उद-दिन याक़ूत इससे रज़िया मोहब्बत करती थी ऐसा बोला जाता है, जमाल उद-दिन याक़ूत जो था वह हब्शी था और ग़ुलाम था.अब इतिहासकारो का कहना है की इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ जो रज़िया सुल्तान का बचपन का दोस्त था तोह इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ भी प्यार करता था रज़िया सुल्तान से.
अब हुआ यह की जमाल उद-दिन याक़ूत और रज़िया सुल्तान एक साथ मिल गए थे, और दोनों ने फैसला कर लिया था की जो भी हमारे खिलाफ आवाज़ उठाएगा हम उसकी आवाज़ दबा देंगे.
लेकिन दोनोही नाकाम रहे लोगो की आवाज़ को दबाने मैं, और इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ ने बहराम शाह से हाथ मिल लिया था और बहराम शाह को रज़िया सुल्तान के बाद दिल्ली सल्तनत की गद्दी मिली थी. यह बहराम शाह वही मुइज़ उद-दिन बहराम है जो रज़िया सुल्तान का सौतेला भाई था.
तोह जमाल उद-दिन याक़ूत और रज़िया सुल्तान के लड़ाई होती है इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ से लेकिन रज़िया सुल्तान हार जाती है, जमाल उद-दिन याक़ूत को मार दिया जाता है और रज़िया सुल्तान को क़िला मुबारक़ मैं कैद कर लिया जाता है और फिर इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ से रज़िया को शादी करनी पड़ती है लेकिन फिर भी रज़िया को मार दिया जाता है.
लेकिन सिर्फ रज़िया सुल्तान को ही नहीं मारा गया होता है, इख्तिआर उद-दिन अल्तुनिआ को भी मार दिया जाता है और इन सब के पीछे हाथ होता है राजदरबारियों का.
तोह अक्टूबर १२४० मैं रज़िया सुल्तान की मृत्यु हो जाती है, तोह शासन इनका छोटा था लेकिन काफी कारगर था. तोह दोस्तों यह थी रज़िया सुल्तान जीवनी - Biography of Razia Sultan in Hindi
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